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पहला दिन / ज़ाक प्रेवेर / अनिल जनविजय
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आलमारी में चादर है
ख़ून में डूबी चादर
बच्चा है कोख में
माँ को श्वेत-प्रदर
बाप खड़ा गलियारे में
गलियारा है घर में
घर बसा है शहर में
और शहर रात के कर में
दर्द-चीख़ में मौत छुपी है
बच्चा इस चीख़ के डर में ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ