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नियति / ज्योति रीता
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हालात के आगे
ना तुम मजबूर थे
ना मैं
ये फ़ैसला नियति ने ही
तय कर रखा था
ना तुम कुछ कर पाये
ना मैं
बस इस फैसले में हाँ-में-हाँ मिलाकर
सहमती जताते रहें,
जानते हुवे
कुछ तो ग़लत है
फिर भी
ना तुम रोक पाये
ना मैं
कुछ फैसले
ऊपर से ही तय होते हैं शायद!