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तू जो आए एक बार / आरती 'लोकेश'
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दिल की देहरी पर,
अश्रुओं के तेल से,
यादों के दीप जला,
राह तकूँगी बारंबार ।
मन के सूने आँगन में,
बातों के झूले डाल,
संग बिताए लम्हों के,
पत्रों का बाँध बंदनवार ।
हर पल, हर दिन,
तेरी प्रतीक्षा का कोष,
रिताऊँगी तुझ पर ही,
तू जो आए एक बार।