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सभी यहाँ मेहमान / नवीन कुमार सिंह

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साँसों का है कर्जा तुझपर, धरती का एहसान
सभी यहाँ मेहमान, मुसाफिर, सभी यहाँ मेहमान

कोई चलता पैदल कोई लेकर मोटर गाड़ी
अंत समय जब आता सबको कंधा मिले सवारी
चींटी जैसे मन के ऊपर हाथी सा अरमान
सभी यहाँ मेहमान, मुसाफिर, सभी यहाँ मेहमान

बरसातों के जैसे आती बिन बोले ही बाधा
समय चक्र से जुदा हुए हैं, यहाँ कृष्ण और राधा
आँखों का तोहफा आँसूं है, होठों की मुस्कान
सभी यहाँ मेहमान, मुसाफिर, सभी यहाँ मेहमान

सारे जग को जीतने वाला अपनो से ही हारा
एक कोख से जन्मे बेटों में होता बटवारा
तेरी चिता को आग लगाए, तेरी ही सन्तान
सभी यहाँ मेहमान, मुसाफिर, सभी यहाँ मेहमान

बड़े बने तो ना करना तुम छोटो का उपहास
बड़ा शिकारी शेर बना है यहाँ काल का ग्रास
प्रेम बाँट लो आपस में, है प्रेम ही शक्तिमान
सभी यहाँ मेहमान, मुसाफिर, सभी यहाँ मेहमान