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मन की किताब पर / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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मन की किताब पर
लिख दूँ सारे आशीर्वाद आज
शुभरात्रि
शब्द के साथ।
कि तुम महको
शब्द से पुष्प बनकर
पुष्प से गन्ध बन बहो।
नेह बन
मन में सदा रहो
जैसे मृतप्रायः में आ जाते प्राण
वैसे ही
प्राण बन रहो
सफ़र कठिन
अकेले चलना दुःस्वप्न
तुम साथ चलो।