हवा हैं हम कभी शीतल कभी गर्म कभी धूल कभी बवण्डर नहीं दिखती हुई भी हर जगह हैं हम हमारे बिना तुम्हारा कोई वजूद नहीं अक्कड़ बक्कड़ धूम-धड़ाक का खेल छोड़ो हम नहीं होंगे तो ख़ुद को किसी आईसीयू में कब तक बचा पाओगे