Last modified on 25 जनवरी 2021, at 13:35

हवा हैं हम / वन्दना टेटे

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:35, 25 जनवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> हवा ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हवा हैं हम
कभी शीतल
कभी गर्म
कभी धूल
कभी बवण्डर
नहीं दिखती हुई भी
हर जगह हैं हम
हमारे बिना
तुम्हारा कोई वजूद नहीं

अक्कड़ बक्कड़
धूम-धड़ाक का खेल छोड़ो
हम नहीं होंगे
तो ख़ुद को
किसी आईसीयू में
कब तक बचा पाओगे