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गीत के दिन / उद्भ्रान्त
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आ गए
ये गीत के दिन आ गए
हिल रही हैं पत्तियाँ मन की
एक कविता रचें जीवन की
तम गया है बीत
उजली प्रीति के दिन आ गए
ये गीत के दिन आ गए
धड़कनों के राग बोले हैं
सिन्धु में फिर प्राण डोले हैं
झनझनाते
सृष्टि के संगीत के दिन आ गए
ये गीत के दिन आ गए