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धरती सोई थी / श्याम सखा ’श्याम’

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धरती सोई थी
अम्बर गरजा
       सुन कोलाहल
       सहमी गलियां
       शाखों में जा
       दुबकी कलियां
बिजली ने उसको
डांटा बरजा
        राजा गूंगा
        बहरी रानी
        कौन सुने
        पीर-कहानी
सहमी सी गुम-सुम
बैठी परजा[प्रजा]
        घीसू पागल
        सेठ-सयाना
        दोनो का है
        बैर पुराना
कौन भरेगा