Last modified on 4 फ़रवरी 2021, at 00:42

ईश्वर की सन्तानें / श्रीविलास सिंह

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:42, 4 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीविलास सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वे
किसके बच्चे हैं
नाम क्या है उनका
कौन हैं इनके माँ बाप
कहाँ से आते हैं इतने सारे
झुण्ड के झुण्ड,
उन तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद
जो अखबारों और टीवी के
चमकदार विज्ञापनों में
कर रही हैं हमारे जीवन का कायाकल्प,
कालिख और चीथड़ो के ढकी
बहती नाक और चमकती आँखों वाली
जिजीविषा की ये अधनंगी मूर्तियाँ
जो बिखरी हुयी हैं
चमचमाते माल्स से लेकर
गंधाते रेलवे प्लेटफार्म्स तक,
बदनाम गलियों की तंग चौखटों से
भगवान के घरों की चौड़ी दालानों तक,
अभिशप्त बचपन में ही
बूढ़े हो जाने को,
अनवरत संघर्षरत
ढूढ़ रही जीवन
कूड़े के ढेर में
किसी लापरवाह ईश्वर की अनचाही संताने,
हमारी नपुंसक संवेदना के गवाह
क्या ये भी बच्चे हैं
इंडिया के
जो कि भारत है।