भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माथ मे घुरियाइ य कविता / दीप नारायण
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:47, 12 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीप नारायण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMai...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
कय दिन सँ
बहुत मोन करै य
फोन लगा क' करी अहाँ सँ
भरि मोन बात
कय दिन सँ
माथ मे घुरियाइ य कविता
अहाँक प्रेम पर
हमर कविता
भारी पड़ि रहल अछि आब।