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माथ मे घुरियाइ य कविता / दीप नारायण

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कय दिन सँ
बहुत मोन करै य
फोन लगा क' करी अहाँ सँ
भरि मोन बात

कय दिन सँ
माथ मे घुरियाइ य कविता

अहाँक प्रेम पर
हमर कविता
भारी पड़ि रहल अछि आब।