Last modified on 27 फ़रवरी 2021, at 00:11

नानी और कहानी / राम करन

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:11, 27 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राम करन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <po...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

‘न’ से नानी, ‘न’ से नाना,
नानी के घर आना-जाना।
नानी ऐनक पहने रहती,
और कहानी कहती रहती।

उसमें रहती बूढ़ी दादी,
पहने थी वो कुर्त्ता खादी।
बूढ़ी दादी बड़ी सयानी,
उसकी चूनर धानी-धानी।

जंगल-जीवन उसके साथी,
मोर, हिरन, औ बंदर हाथी।
हाथी ऊँचा सैर कराता,
पर्वत नदी उसे दिखलाता।

मोर पंख थे बडे़ सजीले,
नीले हरे रंग चटकीले।
सिर पर अपने ताज सजाता,
खुश हो जाता नाच दिखाता।

हिरन कुलांचे भरता था,
बंदर खो-खो करता था।
सुनते होती आधी रात,
फिर सो जाते नानी साथ।