भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
निंदिया आना धीरे धीरे / राम करन
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:20, 27 फ़रवरी 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राम करन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <po...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दूर देश से सपने लाना,
उसमें दुनिया नई सजाना।
चुप-चुप आना पलकें तीरे,
निदिया आना धीरे धीरे।
हौले गाना मधुर तराना,
मद्धिम-मद्धिम सुर लहराना।
जैसे झरना उतरे धीरे,
निदिया आना धीरे धीरे।
और बुलाकर परियां लाना,
मेरे खटोले पँख लगाना।
साथ उड़ेंगे धीरे - धीरे,
निदिया आना धीरे धीरे।
चाँद जरा सा नीचे आना,
जुगनू-तारे सबको लाना।
लगेंगे जैसे चलते हीरे,
निदिया आना धीरे धीरे।