Last modified on 7 मार्च 2021, at 23:24

घाम घाम घूम रही / अनुराधा पाण्डेय

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:24, 7 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुराधा पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घाम घाम घूम रही, धूल-धूल चूम रही, यौवन का लिये भार, श्रमिक कुमारिका।
ऊर्ध्व कुच का उभार, पूर्ण यौवनित नार, अंग-अंग कचनार, श्रमिक कुमारिका।
श्वेद से सने है भाल, धूप झेल गाल लाल, श्रम की पर्याय नार, श्रमिक कुमारिका।
कंचन समान देह, कर्म से सतत नेह, करे है जीवन सार, श्रमिक कुमारिका।