Last modified on 8 मार्च 2021, at 00:13

कोरोना ने दे दिया / अनुराधा पाण्डेय

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:13, 8 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनुराधा पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कोरोना ने दे दिया, घर में ही वनवास।
अच्छे दिन की आस में, बीत गये त्रय मास।
बीत गये त्रय मास, न कोई दिखता है हल।
श्रमिक हुए बेहाल, सड़क पर निकले दल-बल।
दो-दो गुरुतर भार, साथ में कैसे ढोना।
एक करैला भूख, नीम दूजा कोरोना॥