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देखा करती रास्ता / अनुराधा पाण्डेय
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देखा करती रास्ता, आजा मेरे मीत।
अब तो सूना हो गया, जीवन का हर गीत।
जीवन का हर गीत, न मनवा मोरा लागे,
सूनी पिय उर सेज, नयन दिन रैना जागे।
हुआ विकल अति प्राण, भाग्य का ऐसा लेखा,
गए बीत बहु मास, सजन का रूप न देखा॥