Last modified on 18 मार्च 2021, at 23:43

खेती नै बचावैगी / रणवीर सिंह दहिया

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:43, 18 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रणवीर सिंह दहिया |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खेती नै बचावैगी, रोटी बी दिलावैगी, देश नै समझावैगी, इसी लहर उठगी हे बहनों।
1.
अडानी अम्बानी टोल बनारे, जनता का ये मखौल बनारे,
बिगाड़ी म्हारी चाल, जमकै तारी खाल, सरकार हुई दलाल, इसकी काट बिछगी हे बहनों॥
2.
जिब रोटी नहीं दे पाये, ये मंदिर नै हटकै ले आये,
जात पर हम बांटे, धर्म पर ख़ूब काटे, मन कर दिए खाटे, लड़ाई पूरी कसगी हे बहनों॥
3.
कारपोरेट की दया पै छोड़ दिये, क्यों म्हारे तैं नाते तोड़ लिये
पीट दिया किसान क्यों, काढ़ी म्हारी ज्यान क्यों, ना कोये ध्यान क्यों, कसक म्हारी बढ़गी हे बहनों॥
4.
किसान संघर्ष जितैगा बेबे, अडानी अम्बानी जमा सूकैगा बेबे,
रणबीर की सुन ले, एके की रही चुनले, लगा पक्की धुन ले, सरकार हमतैं डरगी हे बहनों॥