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तोरा मांटी में / जटाधर दुबे
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ओकरा प्यार से गोदी में
बिठलाबै के ही तेॅ किंछा छेलै,
हौले-हौले घरोॅ ऐंगना में
दिखलाबै के ही तेॅ किंछा छेलै
प्यार जादा होय गेला पर
पागलपन ही तेॅ कहलाबै छै,
ओकरा गोड़ोॅ केॅ आस्ते-आस्ते
सहलाबै के किंछा तेॅ छेलै
अपन्हेॅ भावो के आंधी में,
हम्में कैन्होॅ अनर्थ करि बैठलियै
हमरा माफ़ करि दिहोॅ भारत
बेसुध आलिंगन करि बैठलियै।
हमरोॅ आँखोॅ के छलकवोॅ
शायद तोंय देखेॅ नै पारल्होॅ,
हमरोॅ आलिंगन में हुनकोॅ
छिपवोॅ तोंय सहेॅ नै सकल्होॅ,
तोरोॅ ई रं उदास होवोॅ आवै
हमरा से सहलो नै जैतेॅ।
ऐ हमरोॅ जान सें भी पियारोॅ
हमरोॅ देश भारत
निछावर छै तोरा पर हमरोॅ सर्वस्व,
बस एक्के ठो किंछा छै हमरोॅ
जियौं भी तोरा मांटी में
मरौं भी तेॅ तोरा मांटी में
जनम भी लौं तोरा मांटी में।