भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
धर्म संकट / अरविन्द श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:05, 28 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पुजारी ने आंखें मूंद ली है
घंटी नहीं बज रही मंदिर में
नहीं चढ़ पाया है भोग
व्याकुल हैं देवतागण भूख से
सन्नाटा पसरा है मातमी
ताबड़तोड़ गोलियाँ चली है
नए पुजारी के चयन में
इधर ट्रस्टियों नें
धर्म संकट की बात कही
उधर कुत्ते भूक रहे हैं बेहिसाब !