Last modified on 28 मार्च 2021, at 13:24

तुम्हें करता हूँ याद / अरविन्द श्रीवास्तव

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:24, 28 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं टूटे हुए जूतों का रफ्फुगर हूँ
मैंने हजारो-हजार दिल भी जोड़े हैं
मैं श्मशान के किसी ठूँठ दरख्त पर बैठा हुआ बुलबुल हूँ
जो तुम्हारे कानों तक अपना संगीत पहुचाना चाहता है
तुमसे प्रकाश बर्ष दूर
तुम्हारे जुगनुओं भरे शहर में

मैं मौसम का मारा वह प्राणी हूँ
जिसकी आत्मा तुम्हारे कोमल मुलायम और
बेहद खूबसूरत नाम के साथ
धड़कती है

तुम्हें करता हूँ याद
और अगले बसंत की प्रतीक्षा में
जुट जाता हूँ मैं !