Last modified on 30 मार्च 2021, at 23:35

शिशिर ऋतु संग आना-जाना / मुकेश कुमार यादव

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:35, 30 मार्च 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश कुमार यादव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शिशिर ऋतु संग आना-जाना।
सखी सजन करै छै मनमाना।
सुबह शाम दोनों वेला।
माघ मेघ करै छै खेला।
ध्यान धरै छै ऋषि-मुनी।
नरम धूप में गुनी-गुनी।
पूछै पता ठिकाना।
शिशिर ऋतु संग आना-जाना।
हमरो मन गेलै बिसराय।
गेलै सुधी-बुधी बिसराय।
आपनो बनाय।
दिल में बसाय।
दुश्मन लगै जमाना।
शिशिर ऋतु संग आना-जाना।
पंख पसारी चिड़ियाँ सारी।
राह निहारी बारी-बारी।
डाली-डाली चहकी-चहकी।
बात करै छै बहकी-बहकी।
कूद-फांद-नाच-गाना।
शिशिर ऋतु संग आना-जाना।