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प्रतिज्ञा / मोहन अम्बर

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मैं धरती पर सत्य निभाने आया हूँ
ओ धरती के व्यर्थ इशारो
तुमसे मुझको प्यार नहीं
गया जमाना वह जब मैंने तुमसे चरण मिलाये थे,
काली-काली रातों को भी उजली रातें बता गया।
लेकिन जब दुनिया की आँखे पथ में दीप जलाती हैं,
कदम-कदम पर आह कराहें मुझको राह बताती हैं।
इसी लिए अब दसों दिशाओं में मेरी साँसो जाओ,
मेरा यह-यह सन्देश गीत की पगडण्डी पर पहुँचाओ।
मैं गीतों में दर्द सुनाने आया हूँ
मिलन विरह के गीत गुबारो
तुमसे मुझको प्यार नहीं
मैं धरती पर सत्य निभाने आया हूँ।
यह मुझको स्वीकार कि मुझसे भी जीवन में भूल हुई,
घोट सत्य का गला बाग़ में काग़ज़ फूल खिलाये थे।
लेकिन अब उपवन के सूखे फूल चूम कर गाता हूँ,
भँवरों की अरमान भरी गुँजन को दुहराता हूँ।
इसीलिए अब दसों दिशाओं में मेरी साँसो जाओ,
मेरा यह सन्देश विजन की कली-कली तक पहुँचाओ।
मैं पतझर की उम्र घटाने आया हूँ।
पल दो पल की फूल बहारो
तुमसे मुझको प्यार नहीं
मैं धरती पर सत्य निभाने आया हूँ।
याद नहीं करता था अब तक मैं उन मोर पुकारों को
जिन्हें जेठ के सूरज द्वारा मैंने बहुत सताया था।
लेकिन अब मन के मन्दिर का पर्दा खुलता जाता है,
मुझसे भी आगे मेरा पीड़ा जल चलता जाता है।
इसीलिए अब दसों दिशाओं में मेरी साँसो जाओ,
मेरा यह सन्देश असाढ़ी दोपहरी तक पहुँचाओ।
मैं मरूथल की प्यास बुझाने आया हूँ।
सिर्फ मचलती मेघ मल्हारो
तुमसे मुझको प्यार नहीं
मैं धरती पर सत्य निभाने आया हूँ।