भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक परिभाषा / मोहन अम्बर

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:19, 2 अप्रैल 2021 का अवतरण ('ifjp;{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन अम्बर |अनुवादक= |संग्रह=आस-...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ifjp;

जो तम के संग-संग जलता है
जो तम के संग-संग ढलता है
जिसका दुख दुनिया का दुख है
बादल पर्वत पर चलता है।
जो औरों हित मिट सकता है
औ मिटने को बन सकता है।
जो जन्म-मरण की परिभाषा
जो गत-आगत में उलझा सा
जिस-सा न जगत में है दूजा
जो करता है धरती-पूजा
मेरे गीतों उस ओर बहो
उसको पूनम का चाँद कहो।