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मुहब्बत नशा है निहारा करेगा / सुजीत कुमार 'पप्पू'

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मुहब्बत नशा है निहारा करेगा,
दुबारा करेगा तिबारा करेगा।

कभी ज़ोर दिल पर चला ना चलेगा,
सताकर न कोई किनारा करेगा।

छुपा के दिखा के कभी वह चुरा के,
दीवाना जो होगा इशारा करेगा।

न डरता ख़ुदी से न बंदों से डरता,
सजा ग़र मिले तो बिसारा करेगा।

सुबह-शाम दिन-रात गजरा लिए वो,
गली में डगर में पुकारा करेगा।

कभी अक्स लेके कभी लेके दर्पण,
ख़यालों में सपने संवारा करेगा।