साथ-साथ गाओ तो स्वर गूँजे
वरना अकेला अपनी बाँसुरी बजाऊँगा
रेत में खेत में धरती पहाड़ पर
अपने अलबेले कन्हैया को बुलाऊँगा
मस्ती में आऊँगा रोऊँगा गाऊँगा
नाचूँगा झूम महारास फिर रचाऊँगा
गोप और गोपी और माखन मिलें न मिलें
ठान लिया, अपना ख़ुद रास्ता बनाऊँगा।