भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सयानी चिड़िया / लता अग्रवाल

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:04, 6 अप्रैल 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लता अग्रवाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सयानी हो चली है
चिड़िया आजकल
आँगन में
बिखेरे हैं दाने
मगर नहीं आती
चुगने
कोई चिड़िया
जानती है डालकर दाना
फसाना चिड़िया को
फितरत है शिकारी की
सयानी हो चली है
चिड़िया आजकल की
देखकर लहू लुहान पंख
एक चिड़िया के
चौकन्नी हो चली है चिड़िया
नहीं निकलती अकेली
सुनी राह से
दबोच न ले बाज कोई
रखती है हथियार अपने पास
सयानी हो चली है
आजकल की चिड़िया