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सयानी चिड़िया / लता अग्रवाल
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सयानी हो चली है
चिड़िया आजकल
आँगन में
बिखेरे हैं दाने
मगर नहीं आती
चुगने
कोई चिड़िया
जानती है डालकर दाना
फसाना चिड़िया को
फितरत है शिकारी की
सयानी हो चली है
चिड़िया आजकल की
देखकर लहू लुहान पंख
एक चिड़िया के
चौकन्नी हो चली है चिड़िया
नहीं निकलती अकेली
सुनी राह से
दबोच न ले बाज कोई
रखती है हथियार अपने पास
सयानी हो चली है
आजकल की चिड़िया