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मनभावन चरित्र / लता अग्रवाल
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ॐ ध्वनि-सी पवित्र है माँ
भगवान-सा चरित्र है माँ।
जिंदगी के केनवास का
एक सुंदर चित्र है माँ।
महका दे जीवन गुलाब सा
ऐसा मनमोहक इत्र है माँ।
हर सुख दुख में रहती संग
सबसे अच्छी मित्र है माँ।
थामकर दामन पार हो जाते
गंगा जमुना-सी पवित्र है माँ।
क़दमों में जिसके जन्नत है
स्वर्ग जाने का निमित्त है माँ।
आशीष से उनकी संवारता बचपन
सम्भावनाओं से भरा चरित्र है माँ।