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शिशिर में क्रौचें करै किलोल / कुमार संभव

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शिशिर में क्रौचें करै किलोल।

सरसरी नजरोॅ से ठारी पर बैठी
एक दोसरा के परछै ऐंठी-ऐंठी,
आँखी-आँखी में कनखी मारै
एक दोसरा के अपरूप निहारै,
लाज प्रेम के बाधा त्यागी
करै प्रेम दैकेॅ लोलोॅ में लोल,
शिशिर में क्रौचें करै किलोल।

अमृत भरलोॅ छै सेमर, पलास
कुंज-कुंज में करै भौंरा विलास,
चहकै पक्षी ठारी-ठारी पर
मधुमय शिशिर के हास-रास,
बोलै खाली प्रेमोॅ के बोल
शिशिर में क्रौंचें करै किलोल।

षोडसी ई मानवी भी जलै
विरह मिलन के फेरा में,
रुप धवल छै, प्रेम अमल छै
साँझ शिशिर के बेरा में,
छै सच में प्रेम बड़ोॅ अनमोल
शिशिर में क्रौचें करै किलोल।