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हाइकु / प्रियंका गुप्ता / कविता भट्ट

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1
प्रेम--गागर
खाली है बरसों से
तुम भर दो

प्रेमैं गागर
रीति बरसु बिटी
तुम भौर देवा
2
दौड़ता आया
धूल की गठरी ले
हवा का घोड़ा

अटगी आई
धूळै कि फाँची लीक
बथौं कु घ्वाड़ा
3
गर्मी के मारे
तालाब में सो गया
बेचैन चाँद

भक्का कारण
तलौ माँ सेई ग्याई
बिचैन जून
4
कुछ यादें थी
तुमने बिखरा दी
कैसे बटोरूँ?

कुछ याद छै
तुमुन फोळयेन
कनैं बटोळौं
5
पीले पत्ते थे
शाख ने गिरा दिए
कच्चा था रिश्ता

पिंगळा पत्ता
फाँगौं न उन्द्द धोळे
काचु छौ रिस्ता
6
आज़ाद पंछी
कब किसी का हुआ
झट से उड़ा

आजाद पग्छी
कबारि ह्वाई कैकू
झट कै उड़ी
7
पूस की रात
मेरे साथ ठिठुरे
मेरा साया भी

पूसै कि रात
मेरी दगड़ी कौंपी
मेरु छैलू बि
8
रिश्तों की धूप
आँगन में उतरी
सहला गई

रिस्तौं कु घाम
चौक माँ उतरीक
मलासी ग्याई
9
बाँहें फैलाओ
मुट्ठी में आसमान
बाँध ले आओ

अंग्वाळ फैलौ
मुट्ठी मंगैं आगास
बाँधी क लि यौ
10
यादों के पन्ने
आँसू से गीले हुए
तो भी न फटे

खुद क पन्ना
आँसुन गिल्ला ह्वेन
तौ बि नि फटी
11
टपके आँसू
तकिये में जा छिपे
ढूँढे न मिले

आँसू च्वींयन
सिर्वणा माँ लुक्यन
खोजि नि मिल्यें
12
काँटों की खेती
बेचने चले फूल
कैसी ये भूल ?

काँडौं की खेति
बेचणों चले फूल
कनि या भूल
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