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हाइकु / रमेश कुमार सोनी / कविता भट्ट

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1
यादें गिन्नियाँ
बच्चों से किलकते
मन रईस

याद गिन्नी सि
बाळौं जन किलकद
मन सेठ ह्वे
2
हवाएँ ढोती
बर्फ , कोहरा , पानी
काँवड़ भारी

हवा बुकदि
बर्फ, कुरेड़ू, पाणी
कौंड़ च भारी
3
प्यार जूड़े में
पल्लू से बँधा घर
पैर , ड्योढ़ी में

माया जूड़ा माँ
पल्ला माँ बंध्यूँ घौर
खुट्टा देळीं माँ
4
पुण्य फला है
ठूँठ में उगी शाखें
कुल्हाड़ी रोई

पुन्न फलि गे
खुंडगा परैं फाँगा
कुलाड़ी रुवे
5
भूखा सोया था
स्वप्न में रोटी खाई
भोर डकारे !

भुखू सेयूँ छौ
स्वीणा माँ रुट्ठी खै कि
बिन्स्री डकारू
6
महुआ चुए
पलाश जो दहके
आम बौराते

महवा च्वीं गे
पलास जु सुल्गिन
आम बौळया ह्वे
7
स्वाद अच्छे हैं
धूप,मिट्टी, हवा के
पौधे झूमते

सवाद खूब
घाम, माटू, हवा कु
बूटा झुम्यन
8
सावन संग
नदी घूमने जाती
गाँव लीलती

सौंण क गैल
गंगा घुमण जाँदी
गौं तैं खै देंदी
9
भूख खा गई
गरीब की खुशियाँ
झोपड़ी सूनी ।

भूक खै ग्याई
गरिबु कि खुसी तैं
झ्वपड़ी सुन्न
10
खेत लिखते
बाज़ार ही जाँचेंगे
भूख का पर्चा

पुंग्ड़ा लेखदा
त बजारै जाँचला
भूका परचा
11
मक्के के खेत
खो -खो खेलते तोते
प्रेम पकता

मुंगरी पुंग्ड़ा
खो-खो खेलणा त्वाता
माया पकणी
12
काँटों में ख़ुशी
फूले हैं नागफनी
लाल -सी बिंदी ।

काँडों माँ खुसी
फुल्याँन नागफणि
लाल सि बेंदी