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पितृ दिवस पर भावमुक्ता / कविता भट्ट
Kavita Kosh से
वृद्धाश्रम के अनेक पिता:
घुटनों से चलकर,
खाँसते-जूझते-आँखें मींडते,
फेसबुक-व्हाट्स एप्प तक-
पहुँच ही गए आज।
फादर्स डे, पितृ दिवस बन गया।
और तमाम सभ्य देश घूम आया।
बधाई हो भारतवर्ष !
एक दिन के लिए ही सही!
तुम सभ्य हो गए।
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