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तुमने कहा ... / विवेक चतुर्वेदी

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तपने तो लगी थी दोपहर चैत की
पर क्यों आज
ज़रा मुलायम सा लगा दिन

सुबह तुमने
धूप से
कुछ कहा था क्या ?