भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दादी बोली दादा जी से / भाऊराव महंत
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:56, 7 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भाऊराव महंत |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
दादी बोली दादा जी से,
हमने जीवन खूब जिया है।
इसका कारण केवल इतना,
हमने ज्यादा दूध पिया है।
लेकिन अब के बच्चे देखो,
ज्यादा दूध नहीं पीते हैं।
इसीलिए तो हम जैसे वे,
उम्र नहीं लम्बी जीते हैं॥