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फागण / रणवीर सिंह दहिया

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मनै पाट्या कोण्या तोल,
क्यों करदी तनै बोल,
नहीं गेरी चिट्ठी खोल,
क्यों सै छुट्टी मैं रोल,
मेरा फागण करै मखोल,
बाट तेरी सांझ तड़कै॥
1
या आई फसल पकाई पै,
या जावै दुनिया लाई पै,
लागै दिल मेरे पै चोट,
मैं ल्यूं क्यूकर इसनै ओट,
सोचूं खाट के मैं लोट,
तूं कित सोग्या पड़कै॥
2
खेतां मैं मेहनत करकै,
रंज फिकर यो न्यारा धरकै
लुगाइयां नै रोनक लाई,
कट्ठी हो बुलावण आई,
मेरा कोण्या पार बसाई,
तनै कसक कसूती लाई,
पहली दुलहण्डी याद आई,
मेरा दिल कसूता धड़कै॥
3
इसी किसी तेरी नौकरी,
कुणसी अड़चन तनै रोकरी
अमीरां के त्योहार घणे सैं,
म्हारे तो एकाध बणे सैं,
खेलैं रलकै सभी जणे सैं,
बाल्टी लेकै मरद ठणे सैं,
मेरे रोंगटे खड़े तनै सैं,
आज्या अफसर तै लड़कै॥
4
मारैं कोलड़े आंख मीचकै,
खेलैं फागण जाड़ भींचकै
उड़ै आग्या था सारा गाम,
पड़ै था थोड़ा घणा घाम,
पाणी के भरे खूब ड्राम,
दो तीन थे जमा बेलगाम,
मनै लिया कोलड़ा थाम,
मारया आया जो जड़कै॥
5
पहल्यां आली ना धाक रही,
ना बीरां की खुराक रही
तनै मैं नई बात बताउं,
डरती सी यो जिकर चलाउं,
रणबीर पै बी लिखवाउं,
होवे पिटाई हररोज दिखाउं,
कुण कुण सै सारी गिणवाउं,
नहीं खड़ी होती अड़कै॥