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कविता से सुंदर / पुरूषोत्तम व्यास

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कविता से सुंदर
कवि का चेहरा लगता
उसके पास टेडीबियर रहता

रात सुंदर लिखता
बिन मतलब की बारिश लिखता
सन्नाटों के बीच मे बियर की बोतल
लिखता

खूब धुआँ उडाता
रोज-रोज कपड़ो की तरह
रिश्तें बदलता
प्रेम की सविता लिखता

कविता से सुंदर
कवि का चेहरा लगता

हर बात पर सयाना दिखता
कुटिलता के बोल लिखता
नीचे से ऊपर तक
अपनी होड़ रखता

फूल नही कुछ और ही लिखता
हर तरफ झोल ही झोल दिखता
औरों की भूखें-नगेंपन की बाते कर
अपना ही पेट भरता

कविता से सुंदर
कवि का चेहरा लगता