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सफ़र अभी बाक़ी है / पंछी जालौनवी
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मुसाफ़िर थक गया है
सफ़र अभी बाक़ी है
कुछ कहा नहीं जा सकता
वो ख़ुदमें
किसक़दर अभी बाक़ी है
आँखें जैसे
किसी खाई में पड़ी हैं
होंटों पर ज़र्द रंग की
पपड़ियाँ-सी ज़मीं हैं
पेशानी पे
ये जो बल उभर आये हैं
ये कब किसी अहले नज़र को
नज़र आये हैं
ये कहाँ का सफ़र है
ये कैसा सफ़र है
रास्ता ख़त्म हो गया लेकिन
सफ़र अभी बाक़ी है॥