भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गुड़िया / श्रवण कुमार सेठ
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:16, 4 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रवण कुमार सेठ |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जादू की लगती है पुड़िया
परियों-सी है मेरी गुड़िया
फ्रॉक में उसके जड़े सितारे
टिम-टिम-टिम करते हैं सारे
सुंदर-सी इक छडी हाँथ में
जादू करती बात-बात में
उसके पास बड़ा-सा झोला
चलती लेकर उड़न खटोला
कर जाती जो लेती ठान
उसको भाती नई उड़ान