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अवशेष / अमलेन्दु अस्थाना
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अभी तुम्हारे अंदर मीलों चलना है मुझे
और तुम्हे लौटना है मेरी ओर हम दोनों
के एक होने के लिए,
मेरे चलने और तुम्हारे लौटने से पहले ठहरा रहा सबकुछ,
और शमशान भूमि पर जलती रहीं कई चिताएं,
और जब भस्म हुआ सबकुछ, हुआ पुनर्जन्म,
जिसमें न तुम बची थी न मैं,
काश मैं चला होता और तुम लौटी होती,
और इस पुनर्जन्म से पहले
एक अहसास भर जन्म ले लेता,
तो न तुम भस्म होती न मैं, अवशेष नहीं शेष रहते हम-तुम।।