भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुहब्बत से हक़ीक़त में / रचना उनियाल

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:56, 30 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना उनियाल |अनुवादक= |संग्रह=क़द...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुहब्बत से हक़ीक़त में, ख़ता करना बड़ा मुश्किल,
मिले दो दिल ज़मीं पर जो, जुदा करना बड़ा मुश्किल।
 
तुम्हारे नूर का आलम, ख़ुदा की नेमतों का घर,
कभी रहमत इधर होगी, कहा करना बड़ा मुश्किल।
 
ये दिल की बेक़रारी को, सुनेगी जान कब जानें,
तड़प कर कह रहा है दिल, मिला करना बड़ा मुश्किल।
 
बड़ी है खूबसूरत जाँ, करे दिल क़त्ल नज़रों से,
पलक पर बादलों का दर, छिपा करना बड़ा मुश्किल।
 
हिमाक़त गर करे दुश्मन, लगा देंगे ठिकाने पर,
छिपे ग़द्दार घर में जो, दिखा करना बड़ा मुश्किल।
 
कहो अहसास को अपने, सुकूँ दिल में कहे शायर,
कलम से बेवफ़ाई पर, उड़ा करना बड़ा मुश्किल।
 
जहाँ में कौन सुनता है, कहे ‘रचना’ लिखा सच तो,
अगर पन्ने भरें सच के, छपा करना बड़ा मुश्किल।