Last modified on 31 अगस्त 2021, at 23:00

हे शुभ्र स्वामिनी / रचना उनियाल

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:00, 31 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रचना उनियाल |अनुवादक= |संग्रह=अलं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हे शुभ्र स्वामिनी, कमल आसिनी, ज्ञानी धार बहावै।
जय हंसवाहिनी, वेद धारिनी, भावों भाव खिलावै॥
मन स्वर प्रदायिनी, राग मालिनी, रागों गीत सिखावै।
ओ ब्रह्म योगिनी, तम विनाशिनी, सुहासिनी समुझावै॥

जय विमल नंदिनी, चित्त बंधनी, शांति भाव उर माला।
जय शास्त्र रूपिनी, ज्ञान लेखनी, विद्या ज्ञान विशाला॥
जय पद्मलोचिनी, धवल संगिनी, सत्य भाव बतलाती।
जय तेज दायिनी, वर्ण मोहिनी, मदन संग इठलाती॥

हे कृपादायिनी, कष्टनाशिनी, द्वार शीश झुक जाये।
माँ पीड़ा हरती, मन को वरती, भक्ति मोक्ष दिलवाये॥
तन बाल आरती, बाल भारती, आशाओं मनशाला।
हे माँ महाबला, माता विमला, काया पूजन बाला॥

हे वसुधा देवी, तेरे सेवी, धरती को चहकाना।
बहे वारि धारा, धरणी तारा, प्राण-प्राण हरषाना।
हे प्रकृति वाहिनी, सृष्टि स्वामिनी, धरती अंबर तेरे।
देह मूढ़ मति बन, सोच रहा मन, काया जैविक फेरे॥

माँ मधुरभाषिणी, जगततारिणी, मंजुलता बरसाओ।
मन मधु पूरित हो, प्रेम हरित हो, वैमनस्य बिसराओ॥
हे मात शारदा, मात वरप्रदा, कृपासिंधु जग देवी।
तू देती अक्षर, बनते साक्षर, तेरे बनकर सेवी॥