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दोपहर कैसे बिताना चाहिए / विजय वाते

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दोपहर कैसे बिताना चाहिए।
ये हुनर हम को भी आना चाहिए।

बाँध कर रखना है गर पल्लू में चांद,
धूप में उसको तपाना चाहिए।

पाँव रखना भी जहाँ वाज़िब ना हो,
उस गली में घर बनाना चाहिए।

फ़ख़्र करने के लिये जब कुछ ना हो,
तब विरासत को भुलाना चाहिए।

चाँद तारे आसमां से नोचकर,
गीली मिट्टी में लगाना चाहिए।

जिसमें बस ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ हो 'विजय'
कोई ऐसा घर बनाना चाहिए।