Last modified on 26 सितम्बर 2021, at 23:39

बरदान तनिका दे द / कन्हैया लाल पण्डित

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:39, 26 सितम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल पण्डित |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अलचार हो रहल मन वरदान तनिका दे द।
थाकल शरीर जननी, अब जान तनिका दे द॥
पहिले के शक्ति कहवाँ अब आज रह गइल बा।
फेनू लगा के हाथ तूँ तूफान तनिका दे द॥
पग अझुरा रहल बाटे आ नगिचा किनार के।
खोलऽ पलक भवानी आ ध्यान तनिका दे द॥
सकदम में पड़ रहल बा माँ जी कबो-कबो।
अपना कृपा किरन के भान तनिका दे द॥
कन्हइया छुवे चरन मइया राखि ल शरन।
सहला के माथ हाथे अभय दान तनिका दे द॥
अलचार हो रहल मन वरदान तनिका दे द।