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लॉकडाउन में मन / अमृता सिन्हा
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मेरे छूटे हुए शब्दों
मेरे बिखरे जज़्बातों
तुम्हारी बेतरतीबी
तुम्हारी बेरुख़ी
बहुत सताती है मुझे
कभी तो बाज़ आओ
अपने रूखे तेवरों से
अपने नटखटपन से
कि तुम्हारा दूर होना
बहुत तन्हा कर जाता है मुझे।