भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जन्मदिन / अदिति वसुराय / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:01, 9 अक्टूबर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदिति वसुराय |अनुवादक=अनिल जनविज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जन्मदिन की पूर्व संध्या पर
बहुत कुछ किया जा सकता है।
जैसे — प्राचीन पाप, एकल शिकार और एकतरफ़ा प्रेम ।
जन्मदिन पर, कहते हैं,
जन्मदिन का केक ठीक से जमा नहीं है,
जन्मदिन पर याद रखें,
खोए हुए कॉमिक्स, लिखावट, साइकिल
और अचानकलिए-दिए गए चुम्बन।
बर्थडे से पहले
मेरी माँ को भी याद आ जाता है ये सब-कुछ
उन मुग्ध, दूधिया झरनों का पानी,
कभी समाप्त नहीं होता,
कभी नहीं।
यह सब सुनकर और जानकर
कभी-कभी तो बहुत अकेलापन लगता है
और कई चीज़ें तो कभी भी सकती हैं
जिन्हें याद कर
धड़कन तेज़ हो जाती है,
माशाअल्लाह ! अब कहा जा सकता है —
तुम ! कमीने हो !
मेरे प्रेमी !
मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय