Last modified on 15 नवम्बर 2021, at 04:49

आधा नर आधा मृगराज / खगनियाँ

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:49, 15 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=खगनियाँ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आधा नर आधा मृगराज,
युद्ध बिआहे आवे काज।
आधा टूट पेट में रहै,
बासू केर खगनियाँ कहै।

उत्तर : नरसिंह