Last modified on 17 नवम्बर 2021, at 23:54

नारी के कीर्ति महान / त्रिलोकीनाथ दिवाकर

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:54, 17 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोकीनाथ दिवाकर |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नारी के कीर्ति महान हे हो भैया
नारी के कीर्ति महान।

दुनियाँ के सृष्टि छै वोकर्है पर टिकलो
दया आरो प्रेमो के सागर छै छिपलो
सदा, होलो छै एकरो गुणगान हे हो भैया
नारी के कीर्ति महान।

उल्टाय के देखों इतिहासो के पन्ना
देलकै नै झाँसी रानी दुश्मन के मन्ना
आरू देलकै देशो खातिर बलिदान हे हो भैया
नारी के कीर्ति महान।

भूली गेलै कलयुग में नारी के गाथा
आय फूटी रहलो छै नारी के माथा
दै छै बेवस होय के प्राण हे हो भैया
नारी के कीर्ति महान।