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जरा धीरे / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
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जादे दौड़े नै, चल जरा धीरे
मिलतौं करमों के, फल जरा धीरे.
सटलो फोटो पर, फोटो नै साटें
आपनों डींगों से, सच के नै पाटें
देखा-देखी में, जल जरा धीरे..
मिलतौं करमों के, फल जरा धीरे।
अपन आपो मे, समझै छै भैया
बिना धूरा के, घड़काबै पहिया
अहिनों आदत से, टल जरा धीरे..
मिलतौं करमों के, फल जरा धीरे।
मन मे भरलो बैमानी के नीयत
धोखा चोरी शैतानी के कीमत
काटें जेलों में, पल जरा धीरे..
मिलतौं करमों के, फल जरा धीरे।