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गंग मैना (गीत) / त्रिलोकीनाथ दिवाकर

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गंगा किनार में गंग मैना
जिनगी बिताबै यहीना
बालू के रेतो में, गंगा के फेटो
गोता लगाबै, रोजीना,
गंगा किनार में गंग मैना।

मनो के शांत छै दिलो के भोली
मैलो शरीर की मिट्ठो छै बोली
गंगा के फेटो में, खेढ़ी के खेतो में
छर्र-छर्र बहै छै पसीना,
गंगा किनार में गंग मैना।

गंगा कछारी में डालै छै डेरा
कलको ठिकानो नै होतै सवेरा
उमतैली बाढ़ो में, पूरबा बयारो में
धँसना गिरै छै जहीना,
गंगा किनार में गंग मैना।

घोर विपत्ती में हिम्मत नै हारै
मेहनत के बलोॅ पर जीवन गुजारै
धूपो-बतासो में, पूसो के रातों में
आपनो खौजै छै ठिकाना,
गंगा किनार में गंग मैना।

जह्-नु के जंघा नंे देनंे परान छै
गंगा के कोखो में भेलो जवान छै
धरती अकाशो में, दीरा के काशो में
फुर्र-फुर्र उड़ै छै यहीना
गंगा किनार में गंग मैना।