स्वाँग / सुषमा गुप्ता

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कह भर देने से नहीं उतरता
दुख काँधे से

चार कदम आगे बढ़ जाने से
नहीं छूटती हैं स्मृतियाँ पीछे

क्षमा, ईर्ष्या, डर ,असुरक्षा आत्मविश्वास ,प्यार
एक राक्षस और एक देव
इन सबसे निर्मित हैं हम सब...

जो सहज होने का स्वाँग
न रचना जानते
तो जीवन को कैसे चलाते हम!

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