डुबथैं सूरज दीप जलाबांॅ
दरबज्जा कॅ खूब सजाबांॅ
हुक्का पाती, बनै सनाठी
राकेट बम लॅ बारोॅ काठी।
खेल खेलौना रहतै याद
हथिया-घोड़बा के परसाद।
जगमग सबके लागै पक्का
फुटै पड़ाकी लागै धक्का।
अगला साल घुरी के आबांॅ
दरबज्जा के खूब सजाबांॅ।
डुबथैं सूरज दीप जलाबांॅ
दरबज्जा कॅ खूब सजाबांॅ
हुक्का पाती, बनै सनाठी
राकेट बम लॅ बारोॅ काठी।
खेल खेलौना रहतै याद
हथिया-घोड़बा के परसाद।
जगमग सबके लागै पक्का
फुटै पड़ाकी लागै धक्का।
अगला साल घुरी के आबांॅ
दरबज्जा के खूब सजाबांॅ।