भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जैहें नै / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:33, 28 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नद्दी किच्छा जैहें नै
गिरलोॅ-पड़लोॅ खैहें नै
खाना सॅे पानी पी दूना
रौद-बतासी रैहें नै
नद्दी किच्छा जैहें नै

शौचालय बाहर मत जो
बिना हाथ धोने मत खो
बढ़ियां जो बनना छौ नूनू
समय सॅ पहिनें इस्कूल जो।